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काश तुम…….

  • Writer: Viral Noax
    Viral Noax
  • Jun 1, 2018
  • 1 min read

काश ! तुम मेरी खामोशी को समझते , या हम तुम्हें समझा पाते ।

इतना आसान नहीं होता सब कुछ , कि हम तेरे दिल से यूं ही जा पाते ।

अब तो तेरी ही हंसी, तेरी ही खुशी , तेरे ही ख्याल होते है हर जगह ,

काश !तू भी मेरे यादों को यूं ही , सहेज, संभाल पाते ।

काश ! तुम मेरी, ,,,,,,,,,,,,,,,

काश !अपने दर्द ,तन्हाई के तम को हम प्रदीप्त कर पाते , तब तुझ में बसे प्यास को , हम तृप्त कर पाते ।

बरसों पहले छोड़ आये थे , खुद को जंहा हम , आज भी बेबस पथराई आँखें खुद को वही है पाते ।

काश ! की तुम मेरी खामोशी को समझते , या हम तुम्हें समझा पाते ।

वन्दना यादव “गज़ल “ 01/06/18

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